
कान के कार्टिलेज और उस पर लिपटी त्वचा के बीच होने वाला हेमाटोमा कान या श्रवण संबंधी हेमाटोमा कहलाता है।
जब किसी इंसान को हेमाटोमा की समस्या होती है तो उसकी जाँच और परीक्षण करके पता लगा जा सकता है कि हेमाटोमा है या नही। हेमाटोमा की जाँच या परीक्षण के लिए मरीज का विस्तृत चिकित्सकीय इतिहास के साथ ही शारीरिक निरीक्षण किया जाता है। इसके अलावा चोट या प्रदर्शन के आधार पर ब्लड टेस्ट करके भी हेमाटोमा का पता लगाया जा सकता है।
गुर्दे व हड्डियों की कोशिकाएं पर यह हार्मोन कार्य करता है। ये हार्मोन रक्त में कैल्शियम का स्तर अधिक होने पर, उसको कम करने का कार्य करता है।
पीयूष ग्रंथि इसी एडिनोहाइपोफायसिस की पार्स डिटेल्स को कहा जाता है इस पीयूष ग्रंथि से ग्रोथ हार्मोन का स्त्राव होता है जो मनुष्य में वृद्धि को बढ़ावा देता है
वहीं थाइरॉइड ग्रंथि थॉइरॉक्सिन का स्त्राव बहुत कम मात्रा में करती है, तो आप ऊर्जा में कमी महसूस करते हैं।
एक्जिमा का कोई इलाज नहीं है, इसलिए उपचार में लक्षणों का मैनेजमेंट करना और आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश करना शामिल है। एक्जिमा के लिए कुछ उपचार विकल्पों में शामिल हैं:
सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें।
(और पढ़ें - थायराइड कम करने के घरेलू उपाय)
हार्मोन्स में बैलेंस बिगड़ने से पीरियड्स शुरू होने के बाद महिलाओं को पीसीओएस की समस्या हो सकती है। इसके लक्षण, जांच और बचाव के तरीकों के बारे में जानें।
– जब भोज्य पदार्थ में आयोडीन की उचित मात्रा ना हो तब आयोडीन की पूर्ति के लिए थायराइड ग्रंथि फूल जाती है जिससे गले के आसपास एक थैली नुमा रचना बन जाता है और वह अधिक थायरोक्सिन हार्मोन का स्त्रवण कोशिश करती है यह थैलेनुम संरचना घेंघा रोग कहलाता click here है इसके उपचार के लिए आयोडीन युक्त .
एडिनोहाइपोफायसिस की पास इंटर मीडियम स्थान से द फ्लाइट प्रेरक या मिलनोट्रॉपिन का भी स्त्राव करता है
क्रॉनिक डिजीजेस : गहराई से समझें एशिया की स्थिति को
A शरीर में नियंत्रण और समन्वय के लिए हार्मोन जरूरी हैं
कई बार हेमाटोमा बैंगनी-नीले रंग से पीले और भूरे रंग में बदल जाता है क्योंकि खून में मौजूद केमिकल धीरे-धीरे मेटाबोलाइज हो जाते हैं और हेमाटोमा ठीक हो जाता है।